महाशिवरात्रि पर भगवान शिव के दिव्य अवतारों की कथा
इस वर्ष महाशिवरात्रि बुधवार, 26 फरवरी को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान शिव की पूजा और उनकी पौराणिक कथाओं का श्रवण करना विशेष फलदायी माना जाता है। जिस प्रकार भगवान विष्णु ने समय-समय पर विभिन्न अवतार लिए, वैसे ही भगवान शिव ने भी संसार के कल्याण के लिए कई रूप धारण किए।
शिवपुराण और लिंगपुराण में भगवान शिव के 19 प्रमुख अवतारों का वर्णन मिलता है। इनमें वीरभद्र, पिप्पलाद, भैरव, अश्वत्थामा, शरभ, दुर्वासा, हनुमान, यक्ष, अवधूत, गृहपति, कृष्णदर्शन, सुरेश्वर, वृषभ, यतिनाथ, भिक्षुवर्य, सुनटनतर्क, ब्रह्मचारी, किरात और नंदी शामिल हैं।
आइए, जानते हैं भगवान शिव के 8 प्रमुख अवतारों के बारे में—
1. वीरभद्र अवतार – अधर्म का विनाशक
भगवान शिव ने वीरभद्र रूप में प्रकट होकर राजा दक्ष के यज्ञ को नष्ट किया था, जिन्होंने देवी सती का अपमान किया था। यह अवतार अधर्म के नाश और न्याय की स्थापना का प्रतीक है।
2. पिप्पलाद अवतार – शनि को दिया था श्राप
भगवान शिव ने पिप्पलाद मुनि के रूप में जन्म लिया। इस अवतार में उन्होंने अपने तप से शनि देव को श्राप दिया, जिससे वे पीड़ित होने लगे।
3. भैरव अवतार – ब्रह्मा के अहंकार को समाप्त करने वाला
जब ब्रह्माजी ने अहंकार में शिव का अपमान किया, तो शिव ने भैरव अवतार लिया और ब्रह्मा के पाँचवें सिर को काटकर उनका अहंकार नष्ट किया।
4. शरभ अवतार – नृसिंह को शांत करने वाला रूप
भगवान विष्णु के नृसिंह अवतार को शांत करने के लिए भगवान शिव ने शरभ रूप धारण किया, जो आधा सिंह और आधा पक्षी था। इस रूप में उन्होंने नृसिंह का उग्र रूप समाप्त किया।
5. दुर्वासा अवतार – तप और संयम का प्रतीक
ऋषि दुर्वासा भगवान शिव के अवतार माने जाते हैं। वे अपने तेजस्वी स्वभाव और कठोर तप के लिए प्रसिद्ध थे।
6. हनुमान अवतार – भक्ति और शक्ति का संगम
भगवान शिव ने हनुमान रूप में अवतार लेकर श्रीराम की भक्ति की और अपने दास्य भाव का आदर्श प्रस्तुत किया।
7. किरात अवतार – अर्जुन की परीक्षा लेने वाला रूप
शिव ने एक भील शिकारी (किरात) का रूप धारण कर अर्जुन की परीक्षा ली और उन्हें दिव्य पाशुपत अस्त्र प्रदान किया।
8. अवधूत अवतार – ज्ञान और वैराग्य का स्वरूप
भगवान शिव ने इस अवतार में सांसारिक मोह से मुक्त होकर भिक्षुक का रूप धारण किया और लोगों को ज्ञान व वैराग्य का उपदेश दिया।
निष्कर्ष
भगवान शिव के ये अवतार हमें न्याय, भक्ति, त्याग, तपस्या और संतुलन का महत्व सिखाते हैं। महाशिवरात्रि पर इनका स्मरण कर शिव की उपासना करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है।