सच्ची दोस्ती – हाथी और उसके दोस्त

एक बार की बात है, एक छोटा हाथी जंगल में नया आया। वह बहुत खुश था और नए दोस्तों की तलाश कर रहा था।

सबसे पहले, वह एक बंदर के पास गया और बोला, “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?”
बंदर ने हँसकर कहा, “तुम बहुत बड़े हो, मेरे जैसे पेड़ पर झूल नहीं सकते! मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।”

फिर हाथी एक खरगोश के पास गया और पूछा, “क्या तुम मेरे दोस्त बनोगे?”
खरगोश बोला, “तुम बहुत भारी हो! तुम मेरे बिल में नहीं आ सकते। मैं तुम्हारा दोस्त नहीं बन सकता।”

इसके बाद हाथी एक हिरण के पास गया, लेकिन हिरण ने भी वही कहा, “तुम बहुत बड़े हो, तुम मेरे साथ तेज़ नहीं दौड़ सकते!”

बेचारा हाथी बहुत उदास हो गया।

कुछ दिन बाद, जंगल में एक शिकारी आया। वह सभी छोटे जानवरों को पकड़ने लगा। सभी जानवर डरकर भागने लगे। हाथी यह देखकर सीधा शिकारी के पास गया और उसे जंगल छोड़ने को कहा।

लेकिन शिकारी ने उसकी बात नहीं सुनी। गुस्से में हाथी ने जोर से चिंघाड़ा और शिकारी को जंगल से भगा दिया।

अब सभी जानवर बहुत खुश हुए और हाथी को धन्यवाद कहा। बंदर, खरगोश और हिरण बोले, “अब हमें समझ आया कि सच्ची दोस्ती आकार पर नहीं, बल्कि दिल की अच्छाई पर निर्भर करती है!”

नीति:
सच्चे दोस्त वही होते हैं, जो किसी के गुण और दिल की अच्छाई को देखते हैं, न कि उसकी शक्ल या आकार को।
हमें हमेशा दूसरों की मदद करनी चाहिए, बिना किसी भेदभाव के।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *