शशि थरूर ने कांग्रेस में अपनी भूमिका पर उठाए सवाल, राहुल गांधी से मांगा जवाब
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने पार्टी नेतृत्व से अपनी भूमिका स्पष्ट करने की मांग की है। उन्होंने राहुल गांधी से सीधे तौर पर पूछा, “पार्टी में मेरी क्या भूमिका है?”
राहुल गांधी से मुलाकात में जाहिर की नाराजगी
सूत्रों के मुताबिक, 18 फरवरी को दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात के दौरान थरूर ने अपनी नाराजगी खुलकर जाहिर की। उन्होंने कहा कि उन्हें पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों और संसदीय बहसों में शामिल नहीं किया जाता, जिससे उन्हें नजरअंदाज किए जाने का एहसास हो रहा है। उन्होंने राहुल से अनुरोध किया कि उनकी भूमिका को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जाए।
राहुल गांधी ने दिया ठोस जवाब नहीं
रिपोर्ट्स के अनुसार, राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर कोई ठोस जवाब नहीं दिया। थरूर को महसूस हुआ कि उनकी चिंताओं को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है और पार्टी नेतृत्व से उन्हें कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।
थरूर को पार्टी में साइडलाइन करने की संभावित वजहें
- पीएम मोदी की अमेरिकी यात्रा की तारीफ
कांग्रेस के आधिकारिक रुख के विपरीत, थरूर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अमेरिकी यात्रा की सराहना की थी। उन्होंने कहा था,
“प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मुलाकात के कुछ सकारात्मक परिणाम देश के लिए अच्छे हैं, और मैं एक भारतीय के तौर पर इसकी सराहना करता हूं।”
इस बयान को कांग्रेस के कई नेताओं ने अनुचित माना और इसे पार्टी लाइन से अलग जाकर दिया गया बयान करार दिया। - केरल सरकार की नीतियों की तारीफ
थरूर ने अपने लेख में केरल की औद्योगिक नीति की सराहना की थी, जिससे राज्य की कांग्रेस इकाई में असंतोष बढ़ गया। उन्होंने लिखा था कि केरल भारत में टेक्नोलॉजी और इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट का नेतृत्व करने की अच्छी स्थिति में है।
कांग्रेस के मुखपत्र से थरूर को अप्रत्यक्ष चेतावनी
केरल कांग्रेस के आधिकारिक मुखपत्र ‘वीक्षणम डेली’ में बिना नाम लिए थरूर को नसीहत दी गई कि पार्टी के आगामी चुनावों से पहले उनके बयानों से कांग्रेस कार्यकर्ताओं की उम्मीदों को ठेस नहीं पहुंचनी चाहिए।
थरूर पर पार्टी के भीतर बढ़ रही असहमति
- कांग्रेस नेताओं का मानना है कि थरूर के बयान कई बार पार्टी की आधिकारिक नीति के खिलाफ जाते हैं, जिससे असमंजस की स्थिति बनती है।
- पार्टी के कुछ धड़ों का मानना है कि थरूर का रुख स्वतंत्र विचारों वाला है, लेकिन कांग्रेस एक संगठित राजनीतिक दल है, जहां नेतृत्व का सम्मान जरूरी है।
क्या थरूर कांग्रेस से अलग हो सकते हैं?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि अगर थरूर को लगातार पार्टी में नजरअंदाज किया जाता है, तो वे कोई बड़ा फैसला ले सकते हैं। 2022 में कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के बाद भी उनकी स्थिति पार्टी में कमजोर बनी हुई है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या कांग्रेस थरूर की नाराजगी को दूर करने के लिए कदम उठाएगी, या फिर वह अपनी अलग राह चुनने पर मजबूर होंगे?