आज से फाल्गुन मास शुरू: 13 मार्च को होलिका दहन के साथ होगा समापन, जानिए इस पवित्र महीने की खास परंपराएं
आज, 13 फरवरी से हिन्दू पंचांग का अंतिम महीना, फाल्गुन मास आरंभ हो गया है। यह महीना 13 मार्च को होलिका दहन के साथ समाप्त होगा। वसंत ऋतु की मधुर शुरुआत के बीच यह माह धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व रखता है। फाल्गुन भगवान शिव और श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए बहुत खास है। इस दौरान महाशिवरात्रि (26 फरवरी) और होली जैसे बड़े त्योहार मनाए जाते हैं। साथ ही, मथुरा, वृंदावन और बरसाना में लाखों कृष्ण-भक्त होली के उत्सव का आनंद लेने पहुंचते हैं। आइए जानें, फाल्गुन मास से जुड़ी खास परंपराएं।
फाल्गुन मास का धार्मिक महत्व
भगवान शिव और महाशिवरात्रि का पर्व
फाल्गुन मास में महाशिवरात्रि पर्व मनाया जाता है, जो भगवान शिव का सबसे बड़ा त्योहार है। यह पर्व फाल्गुन कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। शिवपुराण के अनुसार, इस दिन भगवान शिव लिंग रूप में प्रकट हुए थे। वहीं, कुछ मान्यताओं के मुताबिक, इसी तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह हुआ था।
महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का अभिषेक करने और भगवान शिव की पूजा करने से सभी परेशानियां दूर होती हैं और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है। इस दिन रात्रि जागरण और व्रत का विशेष महत्व है।
श्रीकृष्ण और फाल्गुन की होली
फाल्गुन मास में भगवान श्रीकृष्ण और राधा का प्रेम पर्व, होली विशेष रूप से मनाई जाती है। कहा जाता है कि द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने गोपियों संग फाल्गुन मास में फूलों और रंगों की होली खेली थी। यही कारण है कि मथुरा, वृंदावन और बरसाना में फाल्गुन के दिनों में भक्ति और उत्सव का अनूठा संगम देखने को मिलता है।
दान और पुण्य का महत्व
फाल्गुन मास में की गई पूजा, दान और पुण्य का विशेष महत्व बताया गया है। इस दौरान जरूरतमंदों को धन, अनाज, वस्त्र, और जूते-चप्पल दान करना शुभ माना जाता है।
- जल और छाया का दान: गर्मी की शुरुआत होने के कारण इस महीने में प्यासे लोगों को पानी पिलाने और सार्वजनिक स्थलों पर पानी के प्याऊ लगवाने का विशेष महत्व है। आप प्याऊ में मिट्टी के मटके दान कर सकते हैं।
- मंदिरों में पूजन सामग्री दान करें: देवी-देवताओं के लिए कुमकुम, गुलाल, घी, तेल, सिंदूर, और वस्त्र दान करें। देवी दुर्गा के लिए लाल चुनरी, चूड़ियां, और भगवान शिव के लिए जनेऊ और बेलपत्र अर्पित करना भी शुभ माना जाता है।
फाल्गुन मास में कथा और ध्यान का महत्व
फाल्गुन मास में भगवान से जुड़ी कथाओं को पढ़ने और सुनने की परंपरा है। इस महीने में शिवपुराण, विष्णुपुराण और श्रीमद् भागवत कथा का पाठ करना अत्यंत लाभकारी माना गया है। यह पवित्र ग्रंथ जीवन की समस्याओं को सुलझाने और सकारात्मकता लाने में मदद करते हैं।
इस महीने में नियमित ध्यान और योग करने से मन शांत और एकाग्र रहता है। वसंत ऋतु का सुहाना मौसम ध्यान और भक्ति के लिए आदर्श है। रोज सुबह किसी शांत स्थान पर बैठकर ध्यान करें और भगवान के नाम का स्मरण करें।
फाल्गुन मास में विशेष उपाय
- महाशिवरात्रि और होली पर भगवान शिव और श्रीकृष्ण की आराधना करें।
- गरीबों और जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र, और जल दान करें।
- श्रीकृष्ण के मंत्र “कृं कृष्णाय नमः” का जाप करें।
- घर के मंदिर में बाल गोपाल की पूजा करें और भगवान को ताजे फूल और प्रसाद अर्पित करें।
- शिवलिंग पर जल, दूध और बेलपत्र चढ़ाकर भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त करें।
फाल्गुन मास का संदेश
फाल्गुन मास न केवल त्योहारों और भक्ति का महीना है, बल्कि यह प्रेम, उल्लास और सकारात्मकता का प्रतीक है। महाशिवरात्रि से लेकर होली तक, यह पूरा महीना धार्मिकता, सामाजिक सौहार्द, और प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर होता है। इस पवित्र महीने में धर्म-कर्म और ध्यान करते हुए जीवन में सकारात्मकता और उत्साह का संचार कर |