गुजरात के लोकप्रिय नेता और राज्य के गृह राज्यमंत्री श्री हर्ष संघवी ने हाल ही में नर्मदा परिक्रमा पर एक भावुक ट्वीट साझा करते हुए इसे मात्र एक यात्रा नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति और भारतीय एकता का उत्सव बताया।
उन्होंने लिखा, “नर्मदा परिक्रमा, मात्र एक यात्रा का आयोजन नहीं, बल्कि हमारी सनातन संस्कृति, एकता का जीवंत उत्सव है। लोगों के द्वारा यहां दी जा रही सेवाएं, उनकी आस्था को बहुत ही सुंदर रूप से दर्शाती है। इन सभी लोगों को मेरा दिल से सलाम।”
यह शब्द केवल एक राजनीतिक नेता की प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि उन हजारों सेवाभावी लोगों के प्रति सम्मान है, जो इस कठिन परिक्रमा मार्ग पर श्रद्धालुओं की सेवा में समर्पित रहते हैं। चाहे वह भोजन वितरण हो, स्वास्थ्य सुविधा, विश्राम स्थल या मार्गदर्शन — हर सेवा में भारतीय संस्कृति की अतुलनीय करुणा और सहिष्णुता झलकती है।
नर्मदा परिक्रमा सदियों पुरानी आध्यात्मिक परंपरा है, जिसमें श्रद्धालु माँ नर्मदा के तटों पर लगभग 3,000 किलोमीटर की कठिन यात्रा करते हैं। यह यात्रा न केवल भक्ति और तपस्या की प्रतीक है, बल्कि मानव सेवा, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता का भी अद्भुत उदाहरण है।
हर्ष संघवी के इस ट्वीट ने उन गुमनाम सेवकों के योगदान को एक नई पहचान दी है, जो निस्वार्थ भाव से श्रद्धालुओं की सहायता करते हैं।
यह ट्वीट न केवल समाज में सकारात्मक संदेश फैलाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि जब सेवा और श्रद्धा एक साथ आती हैं, तो वह धर्म को जीवंत और जनमानस से जुड़ा हुआ बनाती हैं।