प्रधानमंत्री मोदी को उपहारस्वरूप भेंट किया गया 750 वर्ष पुराना दुर्लभ पांडुलिपि
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हाल ही में मुलाकात के दौरान, सांसद तेजस्वी सूर्या ने उन्हें 750 वर्ष पुरानी ‘सर्वमूल ग्रंथ’ की पांडुलिपि भेंट की। इस ऐतिहासिक ग्रंथ की रचना श्री मध्वाचार्य द्वारा की गई थी, और इसे अत्याधुनिक ‘वेफरफिच™’ तकनीक के माध्यम से संरक्षित किया गया है। प्रधानमंत्री ने इस दुर्लभ उपहार को स्वीकार करते हुए विशेष रुचि दिखाई और इसके संरक्षण की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी ली।
वेफरफिच™ तकनीक: एक क्रांतिकारी खोज
वेफरफिच™ एक उन्नत अर्धचालक (सेमीकंडक्टर) तकनीक है, जिसमें सिलिकॉन वेफर्स को पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए उपयोग किया जाता है। इस तकनीक में स्वर्ण या एल्युमीनियम धातु को सिलिकॉन पर जमा कर लेखन किया जाता है, जिससे हजारों छवियाँ एक छोटे वेफर पर संग्रहित की जा सकती हैं। यह विधि अग्निरोधक और जलरोधक है, जिससे ग्रंथों को हजारों वर्षों तक संरक्षित रखा जा सकता है। उल्लेखनीय है कि नासा ने भी इस तकनीक का उपयोग चंद्रमा पर टाइम कैप्सूल छोड़ने के लिए किया था।
तारा प्रकाशन: प्राचीन ज्ञान के संरक्षण में अग्रणी
इस दुर्लभ पांडुलिपि को संरक्षित करने का कार्य बेंगलुरु स्थित एक प्रमुख एनजीओ ‘तारा प्रकाशन’ ने किया है। यह संस्था 2006 से वेदों और प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के लिए समर्पित है। पिछले 18 वर्षों में, इसने मल्टी-स्पेक्ट्रल इमेजिंग, 3डी प्रिंटिंग और वेफरफिच™ जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से प्राचीन पांडुलिपियों को सुरक्षित करने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति की है।
प्रधानमंत्री मोदी का संरक्षण अभियान
प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय सभ्यता की प्राचीन धरोहरों को सुरक्षित रखने के लिए ‘ज्ञान भारत मिशन’ की शुरुआत की है, जिसके तहत इन अमूल्य पांडुलिपियों के संरक्षण के लिए बजटीय प्रावधान किए गए हैं। प्रधानमंत्री ने इस पहल की सराहना की और तारा प्रकाशन के प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया।
प्रोफेसर पी.आर. मुकुंद: विज्ञान और वेदों के संगम के प्रेरणास्रोत
तारा प्रकाशन की स्थापना प्रोफेसर पी.आर. मुकुंद ने की थी, जो रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूएसए के एमेरिटस प्रोफेसर हैं। वे विज्ञान और वेदों के अध्ययन में गहरी रुचि रखते हैं और इस विषय पर कई पुस्तकों के लेखक भी हैं। उनकी नेतृत्व क्षमता ने तारा प्रकाशन को प्राचीन ग्रंथों के संरक्षण में एक महत्वपूर्ण संगठन बना दिया है।
सांसद तेजस्वी सूर्या ने प्रधानमंत्री से इस ऐतिहासिक अवसर पर मुलाकात कर उनका आशीर्वाद प्राप्त किया और भारतीय ज्ञान परंपरा को संजोने की दिशा में हो रहे कार्यों पर चर्चा की।