गांधीनगर के लोद्रा गांव में रहने वाले बालूकाका को हर महीने राशन किट दी जाती है। यह सहायता उन 700 निराधार बुजुर्गों में से एक के रूप में उन्हें प्राप्त होती है, जिन्हें यह संगठन सहारा देता है। लेकिन इस बार, जब बालूकाका ने अपनी राशन किट खोली, तो उन्होंने उसमें मिर्ची का एक अतिरिक्त पैकेट पाया।
बालूकाका ने सोचा कि यह गलती से किसी और के हिस्से का उनके पास आ गया होगा। ईमानदारी और संवेदनशीलता दिखाते हुए, उन्होंने तुरंत फोन कर इसकी जानकारी दी और अतिरिक्त पैकेट लौटाने की इच्छा जताई। यह छोटी-सी बात दिखने में साधारण लग सकती है, लेकिन यह उनके चरित्र और नैतिक मूल्यों को दर्शाती है।
कठिन परिस्थितियों में भी ईमानदारी की मिसाल
बालूकाका को आधे शरीर में लकवा मार गया है। उनकी पत्नी कभी-कभी घरों में सफाई और बर्तन मांजने का काम करती हैं, और कभी-कभार खेतों में भी मेहनत करती हैं। उनकी आर्थिक स्थिति बेहद दयनीय है।
जब प्रहलादभाई ने इस परिवार की कठिनाइयों की जानकारी दी, तो संगठन ने तुरंत उन्हें राशन देने का फैसला किया। जब पहली बार राशन किट बालूकाका के घर पहुंची, तो दोनों की आँखों में खुशी के आँसू थे। उन्होंने कहा, “हम तीन दिन से सिर्फ चाय पीकर बैठे थे, खाने को कुछ नहीं था।”
लहसुन देख भावुक हुए बालूकाका
किट खोलने पर जब बालूकाका को लहसुन मिला, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने कहा, “दो महीने से लहसुन नहीं खरीदा था, और आज यह मिल गया।” यह छोटे-छोटे प्रयास उनके लिए जीवन में बड़ी राहत लेकर आए।
सेवा का कार्य और समाज का सहयोग
यह सेवा कार्य अकेले संभव नहीं हो सकता था। डॉ. के. आर. श्रॉफ फाउंडेशन इस मुहिम में बड़ा योगदान देता है, और अश्विनभाई चौधरी जैसे कई उदार हृदय व्यक्तियों का भी सहयोग प्राप्त होता है। ऐसे कई सज्जनजन मदद के लिए आगे आते हैं, जिनकी वजह से सैकड़ों बुजुर्गों का पेट भर सकता है।
आप भी इस नेक काम में शामिल हो सकते हैं
यह कहानी सिर्फ बालूकाका की नहीं, बल्कि हजारों ऐसे जरूरतमंद लोगों की है, जिन्हें सहायता की जरूरत है। यदि हम सभी साथ आएं, तो हम ऐसे ही न जाने कितने और भूखे पेटों को भोजन और संतोष दे सकते हैं।
भगवान से यही प्रार्थना है कि किसी को भी ऐसी परिस्थिति का सामना न करना पड़े। लेकिन जब तक ऐसी जरूरतें बनी रहेंगी, तब तक सेवा की यह भावना हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देती रहेगी।