एक घने जंगल में एक बंदर रहता था। वह रोज़ एक जामुन के पेड़ पर बैठकर मीठे-मीठे जामुन खाता और मौज करता।
नदी के पास रहने वाला एक मगरमच्छ भी वहां आता था। एक दिन बंदर ने उससे दोस्ती कर ली और उसे जामुन खाने के लिए दिया। धीरे-धीरे वे दोनों अच्छे दोस्त बन गए।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने कहा, “अगर यह बंदर इतने स्वादिष्ट फल खाता है, तो इसका दिल कितना मीठा होगा! मुझे बंदर का दिल चाहिए!”
मगरमच्छ अपने दोस्त को धोखा देने के लिए तैयार हो गया। उसने बंदर से कहा, “चलो, आज मेरे घर चलो। मेरी पत्नी तुमसे मिलना चाहती है!”
बंदर खुशी-खुशी मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया। जैसे ही मगरमच्छ नदी के बीच पहुंचा, उसने कहा, “मैं तुम्हें अपनी पत्नी के लिए मारने जा रहा हूँ!”
बंदर चतुर था। उसने झट से कहा, “अरे! मेरा दिल तो पेड़ पर ही रह गया! मुझे वापस ले चलो, फिर मैं तुम्हें अपना दिल दे दूंगा।”
मगरमच्छ उसकी बातों में आ गया और वापस पेड़ के पास ले गया। जैसे ही मगरमच्छ किनारे पहुंचा, बंदर झट से कूदकर पेड़ पर चढ़ गया और बोला, “मूर्ख मगरमच्छ! दिल शरीर के अंदर होता है, बाहर नहीं!”
मगरमच्छ को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने शर्म से सिर झुका लिया।
नीति:
✔ समझदारी और बुद्धिमानी से बड़ी से बड़ी मुसीबत से बचा जा सकता है।
✔ झूठे दोस्तों पर कभी भरोसा नहीं करना चाहिए।