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सना मारिन का विचार: यूरोप को अब अपनी शक्ति साबित करने का वक्त आ गया है

फोटो व्हाट्सएप्प AI से लिया गया है

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यूरोप को अब अपनी ताकत दिखाने का समय

रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने के लिए अमेरिका ने पहल शुरू की है, लेकिन अब यूरोप को भी निर्णायक भूमिका निभानी होगी। यूरोपीय नेताओं के सामने अब यह चुनाव है कि वे अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी खुद लें या इसे दूसरों के भरोसे छोड़ दें। युद्ध के मैदान में शांति वार्ता तभी प्रभावी होगी जब रूस को यह एहसास हो कि उसे कोई सैनिक लाभ नहीं मिलने वाला। अगर यूक्रेन मजबूत स्थिति में रहेगा, तो रूस के युद्ध समाप्त करने की संभावना बढ़ जाएगी।

यूरोप को खुद को कमजोर समझने की धारणा बदलनी होगी

यूरोप को यह भ्रम छोड़ना होगा कि वह सैन्य और आर्थिक रूप से कमजोर है। नाटो में शामिल यूरोपीय देशों की कुल जीडीपी रूस से दस गुना अधिक है। फिर भी रूस और उसके सीमित सहयोगी देश, पश्चिमी समर्थन प्राप्त यूक्रेन के खिलाफ जबरदस्त संसाधन झोंक रहे हैं। अगर यूरोप यूक्रेन को पर्याप्त सैन्य सहायता प्रदान करता है, तो युद्ध संतुलन में लाया जा सकता है और रूस को बातचीत की टेबल पर आने के लिए मजबूर किया जा सकता है।

यूक्रेन की मदद यूरोप की सुरक्षा के लिए आवश्यक

टोनी ब्लेयर इंस्टीट्यूट की रिसर्च के अनुसार, हर साल लगभग 3.47 लाख करोड़ रुपए की अतिरिक्त सैन्य सहायता से यूक्रेन रूस के युद्ध संसाधनों का प्रभावी रूप से सामना कर सकता है। यह राशि यूरोपीय नाटो देशों की कुल जीडीपी का मात्र 0.2% है। यदि युद्ध जारी रहता है, तो रूस को होने वाले नुकसान और आर्थिक अस्थिरता के चलते उसकी सैन्य शक्ति कमजोर होगी। इससे यूरोप के पक्ष में संतुलन बन सकता है और रूस को अनुकूल शर्तों पर वार्ता के लिए बाध्य किया जा सकता है।

यूरोप को दीर्घकालिक रणनीति अपनानी होगी

यह सिर्फ यूक्रेन की मदद का मामला नहीं है, बल्कि यूरोप की सुरक्षा और दीर्घकालिक स्थिरता भी दांव पर लगी है। यूरोपीय देशों को अपनी रक्षा प्रणाली में निवेश बढ़ाना होगा ताकि भविष्य में वे किसी भी आक्रामकता का मुकाबला कर सकें। यदि यूरोप इस अवसर पर कदम नहीं उठाता है, तो वह अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी से बचने की गलती करेगा।

आर्थिक रणनीति भी महत्वपूर्ण

यूरोप ने कोविड-19 संकट के बाद आर्थिक स्थिरता लाने के लिए 72 लाख करोड़ रुपए से अधिक के बॉन्ड जारी किए थे। इसी तरह, वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान भी भारी धन जुटाया गया था। मौजूदा युद्ध एक और बड़ी चुनौती पेश कर रहा है, जिसके लिए एकजुट होकर आर्थिक और सैन्य स्तर पर मजबूत कदम उठाने की आवश्यकता है।

रूस की कमजोर स्थिति और युद्ध की सच्चाई

पिछले छह महीनों में रूस को कई मोर्चों पर कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है। वह सीरिया में अपने प्रभाव को बनाए रखने में असफल रहा है और कुर्स्क क्षेत्र में यूक्रेन की तीन ब्रिगेड्स को पीछे धकेलने में नाकाम रहा है। रूस को कुछ किलोमीटर की जमीन हासिल करने के लिए भारी सैनिक नुकसान उठाना पड़ा है—पिछले साल हर किलोमीटर के लिए उसे 4,000 से अधिक सैनिकों की क्षति हुई।

अब निर्णायक कदम उठाने का वक्त

यूरोप के लिए यह समय है कि वह ठोस रणनीति अपनाए और अपनी सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे। सिर्फ युद्ध खत्म करने के लिए नहीं, बल्कि भविष्य की स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भी, यूरोप को अपनी सैन्य और आर्थिक ताकत का पूरा उपयोग करना होगा।

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