लोमड़ी और बकरी 🦊🐐

एक बार की बात है, एक चालाक लोमड़ी जंगल में घूम रही थी। चलते-चलते वह एक गहरे कुएँ में गिर गई। उसने बाहर निकलने की बहुत कोशिश की, लेकिन असफल रही।

कुछ देर बाद, वहाँ से एक प्यासी बकरी गुज़री। उसने कुएँ में झाँककर पूछा, “अरे लोमड़ी बहन! तुम यहाँ क्या कर रही हो?”

लोमड़ी को एक योजना सूझी। उसने चालाकी से कहा, “अरे बहन! यह कुआँ बहुत ठंडे और मीठे पानी से भरा है। मैं तो इसे पीकर मज़े ले रही हूँ। तुम भी नीचे आ जाओ!”

बकरी बहुत भोली थी। उसने सोचा, “अगर लोमड़ी यह कह रही है, तो पानी ज़रूर मीठा होगा!” और वह कूदकर कुएँ में आ गई।

लोमड़ी की चालाकी

जैसे ही बकरी अंदर आई, लोमड़ी ने कहा, “अब तुम मेरी मदद करो, ताकि मैं बाहर निकल सकूँ!”

बकरी बेचारी फँस चुकी थी। उसने सोचा, “अगर मैं लोमड़ी की मदद करूँ, तो शायद वह मेरी भी मदद करेगी।”

लोमड़ी ने बकरी की पीठ पर चढ़कर छलांग लगाई और कुएँ से बाहर आ गई।

बकरी ने कहा, “अब मुझे भी बाहर निकालो!”

लोमड़ी हँसते हुए बोली, “पहले सोचना चाहिए था! मूर्खता की सज़ा यही है!” और वहाँ से भाग गई।

शिक्षा:

किसी पर आँख बंद करके भरोसा नहीं करना चाहिए।
कोई भी काम करने से पहले अच्छी तरह सोचना चाहिए।

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