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रसरंग की दुनिया में मेरे किस्से: जब बस में बैठी दिव्या ने कहा – “डुप्लीकेट!”

फोटो व्हाट्सएप्प AI से लिया गया है

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जब दिव्या भारती ने बस में सफर किया – एक अनसुना किस्सा

दिव्या भारती की जयंती 25 फरवरी को है। उनके साथ बिताए लम्हों की यादें अनगिनत हैं। साजिद नाडियाडवाला को मैं भाई मानता हूं, तो इस रिश्ते से दिव्या मेरी भाभी थीं, लेकिन उन्होंने मुझे राखी बांधी थी, इसलिए वह मेरी बहन थीं। उनके साथ बिताए पलों में कई मज़ेदार किस्से हैं, जिनमें से एक मैं आज आपको सुनाने जा रहा हूं।

एक नटखट दिव्या – पार्किंग से लेकर बैडमिंटन तक

एसएनडीटी कॉलेज में मेरी फिल्म ‘वक्त हमारा है’ का मुहूर्त था। दिव्या वहां आईं, शुभकामनाएं दीं और फिर बोलीं, “मैं लिंकिंग रोड तक होकर आती हूं।” कुछ देर बाद वह वापस आईं, हाथ में दो टी-शर्ट – एक मेरे लिए और एक साजिद के लिए। लेकिन इस बार उनकी आंखों में हल्की नमी थी।

हाथ पर चोट के निशान देखकर हमने पूछा तो बोली, “एक लड़के ने मारा!” सब लोग गुस्से में आ गए, बोले कि उसे पकड़ना चाहिए था। दिव्या बोली, “मैं उसका घर देखकर आई हूं!” यह सुनकर सब उत्तेजित हो गए और बोले, “चलो, चलते हैं!”

जब हम वहां पहुंचे तो दिव्या ने इशारा किया कि “वो टोपी पहनकर खेलने वाला लड़का है।” हमने लड़के को पकड़ लिया, लेकिन वह सिर्फ 14-15 साल का बच्चा निकला। पूछताछ में पता चला कि असल कहानी कुछ और थी – दिव्या ने उसकी बिल्डिंग में गाड़ी पार्क की, लड़कों ने मना किया, तो गुस्से में उसने बैडमिंटन का रैकेट तोड़ दिया! यह सुनकर हम सब हंस पड़े और वापस आ गए।

जब दिव्या ने बस में सफर किया

एक दिन दिव्या ने कहा, “मैं फैशन स्ट्रीट से शॉपिंग करने जा रही हूं।” कुछ देर बाद उनके ड्राइवर का फोन आया – “मैडम ने कार छोड़ दी और बोलीं कि आज मूड है, बस में जाऊंगी!”

साजिद और मैं घबरा गए। वह सुपरस्टार थीं, लोग उन्हें पहचानते थे। अगर कोई हंगामा हो गया तो? उस समय मोबाइल नहीं थे, इसलिए इंतजार करना पड़ा। दो घंटे बाद दिव्या मुस्कुराती हुई ऑफिस पहुंचीं।

हमने पूछा, “कोई पहचाना नहीं?” तो वो बोलीं, “बस में कुछ लोग कह रहे थे, ‘देख, दिव्या भारती जैसी लग रही है!’ दूसरा बोला, ‘अगर दिव्या होती तो बस में थोड़ी होती? यह तो बस उसकी डुप्लीकेट है!’ मैं चुपचाप मुस्कुराती रही और बस से उतरकर यहां आ गई।”

यादों का कारवां

दिव्या की मासूमियत और चुलबुलापन उनके हर पल में झलकता था। आज भी उनकी यादें मुस्कान ला देती हैं। उनकी फिल्म ‘दीवाना’ का यह गीत उनकी शख्सियत को पूरी तरह बयां करता है –

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