भारत में टेस्ला की एंट्री: पहले इंपोर्ट, बाद में मैन्युफैक्चरिंग की योजना
अमेरिकी इलेक्ट्रिक कार कंपनी टेस्ला भारत में सीधे ग्राहकों को कार बेचने (D2C मॉडल) के जरिए एंट्री करने की तैयारी में है। कंपनी शुरुआत में भारत में उत्पादन करने के बजाय अमेरिका में बनी कारों को इंपोर्ट कर अपने डीलरशिप के जरिए बेचेगी।
इंपोर्ट ड्यूटी में राहत से मिलेगी बढ़त
भारत सरकार अप्रैल 2025 में एक नई इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी लागू कर सकती है, जिसके तहत इलेक्ट्रिक कारों पर इंपोर्ट ड्यूटी 70% से घटाकर 15% करने का प्रस्ताव है। इससे टेस्ला को अपनी कारों को भारतीय बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमत पर पेश करने में मदद मिलेगी। हालांकि, इस नीति के तहत कंपनी को कुछ सालों में भारत में मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित करनी होगी।
निवेश और लोकल प्रोडक्शन की शर्तें
सरकार की योजना के अनुसार, EV कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी:
- कम से कम ₹4150 करोड़ का निवेश अनिवार्य।
- तीन साल के भीतर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट शुरू करनी होगी।
- पांच साल में लोकल सोर्सिंग (DVA) को 50% तक बढ़ाना होगा।
टेस्ला की भारत में रणनीति
हालांकि टेस्ला ने हाल ही में हुई सरकारी चर्चा में हिस्सा नहीं लिया, लेकिन रिपोर्ट्स के मुताबिक कंपनी भारतीय EV नीति पर लगातार नजर बनाए हुए है। इससे पहले खबर आई थी कि टेस्ला गुजरात और महाराष्ट्र में संभावित प्लांट लोकेशन तलाश रही है और भारत में हायरिंग भी शुरू कर चुकी है।
टेस्ला के अधिकारी भारत दौरे पर आएंगे
रिपोर्ट्स के अनुसार, टेस्ला के अधिकारी अप्रैल 2025 में भारत का दौरा करेंगे। वे प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO), भारी उद्योग मंत्रालय, परिवहन मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात कर भारत में संभावित निवेश और मैन्युफैक्चरिंग यूनिट को लेकर चर्चा करेंगे।
क्या होगा आगे?
यदि EV पॉलिसी को मंजूरी मिलती है, तो टेस्ला जल्द ही भारत में अपनी कारों की बिक्री शुरू कर सकती है। आने वाले वर्षों में स्थानीय उत्पादन से इलेक्ट्रिक कारों की कीमतों में गिरावट आ सकती है और भारतीय EV बाजार को नया आकार मिल सकता है।