पेटीएम ने AI स्टार्टअप परप्लेक्सिटी के साथ किया करार, यूजर्स को मिलेगी रियल-टाइम फाइनेंशियल जानकारी
फिनटेक कंपनी पेटीएम ने अमेरिकी AI स्टार्टअप परप्लेक्सिटी के साथ साझेदारी की घोषणा की है। इस टाई-अप के तहत पेटीएम ऐप में AI इंटीग्रेटेड सर्च ऑप्शन जोड़ा जाएगा, जिससे यूजर्स अपनी लोकल भाषा में इन्वेस्टमेंट, बैंकिंग और खर्च से जुड़ी रियल-टाइम जानकारी आसानी से प्राप्त कर सकेंगे।
AI सर्च से फाइनेंशियल लिटरेसी को मिलेगा बढ़ावा
गुरुवार (27 फरवरी) को एक्सचेंज फाइलिंग में पेटीएम ने बताया कि यह नया फीचर यूजर्स को अधिक जागरूक और सशक्त बनाने में मदद करेगा। अब वे अपने फाइनेंशियल निर्णयों के लिए सटीक और भरोसेमंद जानकारी तुरंत एक्सेस कर पाएंगे।
विजय शेखर शर्मा बोले – AI बदलेगा फाइनेंशियल डिसीजन लेने का तरीका
पेटीएम के संस्थापक विजय शेखर शर्मा ने कहा कि AI लोगों के निवेश और बैंकिंग से जुड़े फैसलों को अधिक सरल और स्मार्ट बनाएगा।
परप्लेक्सिटी: AI सर्च इंजन का नया खिलाड़ी
- परप्लेक्सिटी एक AI-पावर्ड सर्च इंजन स्टार्टअप है, जिसे IIT मद्रास ग्रेजुएट अरविंद श्रीनिवास ने 2022 में शुरू किया था।
- श्रीनिवास इससे पहले OpenAI में एक AI रिसर्चर के रूप में काम कर चुके हैं।
- कंपनी हाल ही में $500 मिलियन (लगभग ₹4,150 करोड़) की फंडिंग जुटा चुकी है और यह Google Search का एक प्रमुख प्रतिस्पर्धी मानी जा रही है।
- इससे पहले परप्लेक्सिटी ने TripAdvisor के साथ भी इसी तरह की साझेदारी की थी।
पेटीएम की मौजूदा वित्तीय स्थिति
- FY25 की तीसरी तिमाही (Q3) में पेटीएम की पैरेंट कंपनी वन 97 कम्युनिकेशंस को ₹208 करोड़ का नेट लॉस हुआ।
- कंपनी का रेवेन्यू 36% गिरकर ₹1,828 करोड़ रह गया, जो पिछले वर्ष ₹2,850 करोड़ था।
RBI की सख्ती के कारण गिरा पेटीएम का मार्केट शेयर
- जनवरी 2024 में, RBI ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक को नए UPI यूजर्स जोड़ने से रोक दिया था, जिससे कंपनी को भारी नुकसान हुआ।
- इसके बाद पेटीएम को UPI सर्विस जारी रखने के लिए अन्य बैंकों के साथ साझेदारी करनी पड़ी।
पेटीएम को मिली UPI सेवा बहाल करने की मंजूरी
हाल ही में NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) ने पेटीएम को नए UPI यूजर्स जोड़ने की मंजूरी दे दी है। इस घोषणा के बाद पेटीएम के शेयर में 7% की बढ़त दर्ज की गई।
निष्कर्ष
परप्लेक्सिटी के साथ यह नई साझेदारी पेटीएम के यूजर्स को बेहतर, तेज और भरोसेमंद फाइनेंशियल जानकारी तक पहुंच प्रदान करेगी। इससे न केवल फाइनेंशियल लिटरेसी बढ़ेगी, बल्कि लोग अपने बैंकिंग और इन्वेस्टमेंट डिसीजन अधिक आत्मविश्वास के साथ ले सकेंगे।
