एक बार की बात है, एक तालाब में तीन मछलियाँ रहती थीं। तीनों बहुत अच्छी दोस्त थीं, लेकिन उनका स्वभाव अलग-अलग था।
👉 पहली मछली बहुत चतुर थी, वह हर समस्या का हल पहले से ही सोच लेती थी।
👉 दूसरी मछली होशियार थी, लेकिन तुरंत फैसला नहीं लेती थी।
👉 तीसरी मछली बहुत आलसी थी और हमेशा भाग्य पर भरोसा करती थी।
एक दिन, तालाब के पास से कुछ मछुआरे गुजरे। उन्होंने तालाब में ढेर सारी मछलियाँ देखीं और कहा, “यहाँ कल आकर जाल डालेंगे!”
तीनों मछलियों की प्रतिक्रिया
🐟 पहली मछली ने सोचा, “यह तालाब अब सुरक्षित नहीं है, मुझे अभी निकल जाना चाहिए!” और वह तुरंत एक छोटी नदी के रास्ते से बाहर निकल गई।
🐠 दूसरी मछली ने सोचा, “हो सकता है कि मछुआरे सच में आ जाएं, लेकिन मैं कल देखूँगी और तब कोई रास्ता निकाल लूँगी।”
🐡 तीसरी मछली ने हँसकर कहा, “अरे, डरने की कोई जरूरत नहीं! यह तालाब हमारा घर है, कुछ नहीं होगा!” और वहीं रुक गई।
अगले दिन…
मछुआरे आए और तालाब में जाल डाल दिया। दूसरी मछली ने भागने की कोशिश की और मरी हुई मछली बनने का नाटक किया। मछुआरों ने उसे बेकार समझकर तालाब में फेंक दिया, और वह बच गई।
लेकिन तीसरी मछली भाग नहीं पाई और मछुआरों के जाल में फँस गई।
नीति:
✔ समझदारी और सतर्कता से हम मुसीबत से बच सकते हैं।
✔ जो समय पर फैसला नहीं लेते, वे खतरे में पड़ सकते हैं।