‘छावा’ रिलीज़ से पहले, सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कुछ दृश्य को हटाने के लिए कहा गया था।

विक्की कौशल ने संभाजी महाराज की भूमिका निभाई है, जबकि रश्मिका मंदाना ने महारानी येसुबाई का किरदार अदा किया है। फिल्म का निर्देशन लक्ष्मण उटेकर ने किया है और यह 14 फरवरी 2025 को रिलीज़ हुई है।

कहानी और निर्देशन: फिल्म की शुरुआत घोड़े पर सवार संभाजी महाराज (विक्की कौशल) की धमाकेदार एंट्री से होती है, जो युद्ध में अपने सैनिकों का नेतृत्व करते हैं। कहानी संभाजी महाराज के राज्याभिषेक से शुरू होकर उनके संघर्षों और वीरता को दर्शाती है। लक्ष्मण उटेकर ने इतिहास, वीरता और बॉलीवुड की भव्यता को मिलाकर एक प्रभावशाली कथा प्रस्तुत की है।

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अभिनय:

  • विक्की कौशल ने संभाजी महाराज के रूप में दमदार और बहुआयामी प्रदर्शन किया है, जो एक योद्धा की बहादुरी और संकल्प को दर्शाता है।
  • रश्मिका मंदाना ने महारानी येसुबाई के रूप में एक उग्र और सहायक रानी का किरदार निभाया है, जो प्यार और वफादारी में ताकत दिखाती हैं।
  • अक्षय खन्ना ने औरंगजेब की भूमिका में खौफनाक परत जोड़ी है, उनकी निगाहें और भावपूर्ण अभिव्यक्तियां बहुत कुछ बयां करती हैं।
  • आशुतोष राणा, दिव्या दत्ता, विनीत कुमार सिंह, और डायना पेंटी ने सहायक भूमिकाओं में अपने-अपने किरदारों को बखूबी निभाया है।

सेंसर बोर्ड के निर्देश: रिलीज़ से पहले, सेंसर बोर्ड ने फिल्म में कुछ बदलावों के निर्देश दिए थे। एक दृश्य में ‘आमीन’ शब्द को ‘जय भवानी’ से बदलने और मराठा योद्धाओं के साड़ी पहनने वाले दृश्य को हटाने के लिए कहा गया था।

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समीक्षा: फिल्म को समीक्षकों से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। न्यूज़ नेशन टीवी ने इसे “एक ऐतिहासिक महाकाव्य जो गौरव की ओर बढ़ता है, ब्लॉकबस्टर सिनेमा को फिर से परिभाषित करता है” कहा है।

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कुल मिलाकर, ‘छावा’ एक प्रभावशाली ऐतिहासिक फिल्म है, जो छत्रपति संभाजी महाराज के जीवन और वीरता को बड़े पर्दे पर जीवंत करती है।

छत्रपति संभाजी महाराज

छत्रपति संभाजी महाराज (1657-1689) मराठा साम्राज्य के दूसरे शासक थे और छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े पुत्र थे। उन्हें मराठा साम्राज्य की रक्षा और विस्तार में उनके वीरतापूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।

संभाजी महाराज का जीवन परिचय

जन्म: 14 मई 1657, पुरंदर किला, महाराष्ट्र
पिता: छत्रपति शिवाजी महाराज
माता: सईबाई
राज्याभिषेक: 20 जुलाई 1681
मृत्यु: 11 मार्च 1689, तुलापुर, पुणे

संभाजी महाराज की वीरता और शासनकाल

  • शिवाजी महाराज की मृत्यु (1680) के बाद, संभाजी महाराज को मराठा साम्राज्य की गद्दी मिली।
  • उन्होंने मुगल सम्राट औरंगजेब के खिलाफ 8 वर्षों तक लगातार संघर्ष किया।
  • वे बहादुर, रणनीतिकार और तेज बुद्धि वाले शासक थे।
  • उन्होंने मराठा सेना को संगठित रखा और दक्षिण भारत में मराठा प्रभाव को मजबूत किया।
  • उनके शासनकाल में मराठाओं ने कई युद्धों में विजय प्राप्त की, विशेष रूप से मुगलों, सिद्दियों, पुर्तगालियों और अंग्रेजों के खिलाफ।

संभाजी महाराज की शहादत

  • 1689 में संभाजी महाराज को मुगलों ने धोखे से पकड़ लिया।
  • औरंगजेब ने उन्हें इस्लाम कबूल करने का प्रस्ताव दिया, जिसे उन्होंने ठुकरा दिया।
  • इसके बाद, उन्हें अमानवीय यातनाएँ दी गईं और अंततः तुलापुर में उनकी क्रूर हत्या कर दी गई।
  • उनकी शहादत ने मराठा साम्राज्य को और अधिक संगठित किया और आगे चलकर मुगलों की हार का मार्ग प्रशस्त किया।

संभाजी महाराज की विशेषताएँ

  • वे संस्कृत, फारसी और कई अन्य भाषाओं के ज्ञानी थे।
  • उन्होंने “बुद्धभूषण” नामक ग्रंथ लिखा था।
  • वे सिर्फ एक योद्धा ही नहीं, बल्कि कुशल प्रशासक और रणनीतिकार भी थे।

संभाजी महाराज का बलिदान भारतीय इतिहास में एक प्रेरणा स्रोत बना और उन्हें आज भी वीरता और स्वाभिमान के प्रतीक के रूप में याद किया जाता है। 🚩

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