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गधा और धोबी (Story)

एक गाँव में एक धोबी (धोबीघाट पर कपड़े धोने वाला) रहता था। उसके पास एक गधा था, जो हर दिन भारी बोझ उठाकर कपड़े धोबीघाट तक ले जाता था। धोबी अपने गधे से बहुत काम कराता लेकिन उसे ठीक से खाना नहीं देता था।

एक दिन, धोबी को जंगल में एक मरा हुआ बाघ मिला। उसे एक तरकीब सूझी! उसने बाघ की खाल उतारी और रात में अपने गधे को वह खाल पहना दी।

अब जब गधा खेतों में जाता, तो किसान डरकर भाग जाते, यह सोचकर कि वह असली बाघ है। गधा आराम से खेतों में घुसकर बढ़िया खाना खाने लगा।

धीरे-धीरे गधे का यह खेल रोज़ का हो गया। वह बहुत खुश था और अपनी चालाकी पर गर्व करने लगा। लेकिन एक दिन, जब वह खेत में खा रहा था, उसे दूर से कुछ गधों की आवाज़ सुनाई दी।

गधा अपनी असली पहचान भूल गया और खुशी में ज़ोर से रेंकने लगा – “ढेंचू! ढेंचू!”

आवाज़ सुनते ही किसान समझ गए कि यह कोई बाघ नहीं बल्कि गधा है! वे डंडे लेकर दौड़े और गधे की अच्छी पिटाई कर दी।

गधा पछताया, लेकिन अब बहुत देर हो चुकी थी।

नीति: छल-कपट से अधिक समय तक लाभ नहीं मिलता, और अपनी असली पहचान कभी नहीं भूलनी चाहिए।

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