उत्तराखंड में फॉरेस्ट फंड का दुरुपयोग: CAG रिपोर्ट में खुलासा

फोटो व्हाट्सएप्प AI से लिया गया है

उत्तराखंड में फॉरेस्ट फंड का गलत इस्तेमाल: CAG रिपोर्ट में खुलासा

उत्तराखंड में वन संरक्षण के लिए बनाए गए फॉरेस्ट कंजर्वेशन फंड का उपयोग गैर-जरूरी चीजों पर किया गया। CAG (नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक) की ताजा रिपोर्ट में सामने आया है कि इस फंड से आईफोन और लैपटॉप जैसी चीजें खरीदी गईं, जो इसके उद्देश्य से मेल नहीं खातीं।

बिना योजना और मंजूरी के खर्च

2021-22 की CAG रिपोर्ट में बताया गया कि फॉरेस्ट एंड हेल्थ डिपार्टमेंट और वर्कर्स वेलफेयर बोर्ड ने बिना किसी योजना और सरकारी मंजूरी के इस फंड का इस्तेमाल किया। यह रिपोर्ट 21 फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा के बजट सत्र में पेश की गई।

वन मंत्री ने दिए जांच के आदेश

वन मंत्री सुबोध उनियाल ने इस खुलासे के बाद मामले की जांच के आदेश दिए हैं। उनका कहना है कि जिम्मेदार अधिकारियों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।


वन संरक्षण में लापरवाही: वृक्षारोपण पर चिंता

CAG रिपोर्ट में बताया गया कि 2017 से 2022 तक किए गए वृक्षारोपण में केवल 33% पौधे ही जीवित बचे।
🔹 फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के मानकों के अनुसार यह संख्या 60-65% होनी चाहिए।
🔹 इसका मतलब है कि वन विभाग वृक्षारोपण के बाद उनकी देखभाल में असफल रहा।


स्वास्थ्य सेवाओं में भी गड़बड़ी: एक्सपायरी दवाएं और डॉक्टर्स की कमी

रिपोर्ट में उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों की स्थिति पर भी सवाल उठाए गए:
✅ कम से कम तीन अस्पतालों में 34 तरह की एक्सपायर्ड दवाइयां पाई गईं।
✅ इनमें से कुछ दवाएं दो साल पहले ही एक्सपायर हो चुकी थीं।
✅ पहाड़ी इलाकों में सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टर्स की 70% और मैदानी इलाकों में 50% पोस्ट खाली हैं।
✅ लॉकडाउन नियमों का उल्लंघन करने के बावजूद 250 डॉक्टर्स को काम करने की अनुमति दी गई।


सरकारी धन के दुरुपयोग पर उठे सवाल

CAG रिपोर्ट के खुलासे ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि वन और स्वास्थ्य जैसे अहम विभागों में फंड का सही इस्तेमाल क्यों नहीं हो रहा?

➡️ वन विभाग के फंड से वन्यजीव संरक्षण और वृक्षारोपण होना चाहिए था, लेकिन इसका उपयोग आईफोन और लैपटॉप खरीदने में किया गया।
➡️ सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की स्थिति चिंताजनक है, जिससे मरीजों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
➡️ डॉक्टर्स की कमी स्वास्थ्य सेवाओं को और कमजोर बना रही है।

सरकार से इन लापरवाहियों और फंड के दुरुपयोग पर सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है। इस रिपोर्ट के बाद संभावना है कि दोषी अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू होगी और कड़े नियम लागू किए जाएंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *